Hindi Vyakaran की इस सीरीज में Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hain, Kriya in Hindi Grammar हिंदी में उदाहरण सहित बिलकुल ही आसान तरीके से सीखेंगे।
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Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hain – परिभाषा
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय, उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे- चलना, खाना, पीना, उठना आदि ।
क्रिया किसी काम के करने या होने को बताता है। क्रिया (काम) को करने वाले को ‘कर्ता’ कहते हैं।
उदाहरण से समझें –
- रेहान किताब पढ़ रहा है।
- बाहर बारिश हो रही है।
- मेले में भीड़ है।
- बच्चा चार पाई से गिर गया।
ऊपर लिखे वाक्यों में रेहान और बच्चा कर्ता हैं और उनके जरिए जो काम किया गया, वह क्रिया है।
बाकी दो वाक्यों में क्रिया खुद हुई है, इसलिए इसमें कोई कर्ता नहीं है।
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। इनके साथ कुछ जोड़कर क्रिया के सामान्य रूप बनते हैं।
जैसे-
धातु रूप | सामान्य रूप |
सुन, रो, सो, लिख, गा, हँस, मार आदि। | सुनना, रोना, सोना, लिखना, गाना, हँसना, मारना आदि। |
मूल धातु में ना लगाने से क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
Kriya Ke Bhed in Hindi | क्रिया के भेद
रचना के आधार पर क्रिया के 4 भेद हैं –
- संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)
- नामधातु क्रिया(Namdhatu Kriya)
- प्रेरणार्थक क्रिया (Prernarthak Kriya)
- पूर्वकालिक क्रिया(Purvkalik Kriya)
1: संयुक्त क्रिया
जिन वाक्यों में एक से ज्यादा क्रियाएं मिलकर एक ही काम को पूरा करें, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे-
- बच्चा दुकान से लौट आया।
- सीता रोने लगी।
- वह घर पहुँच गया।
ऊपर लिखे वाक्यों में एक से ज्यादा क्रियाएँ हैं
जैसे-
- लौट, आया।
- रोने, लगी।
- पहुँच, गया।
ये सभी क्रियाएँ मिलकर एक ही कार्य को पूरा कर रही हैं, इसलिए ये संयुक्त क्रियाएँ हैं।
इसमें पहली क्रिया मुख्य क्रिया होती है और दूसरी क्रिया रंजक क्रिया।
रंजक क्रिया, मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर अर्थ में विशेषता लाते हैं।
जैसे- काजल बाजार से आ गई।
इस वाक्य में आ मुख्य क्रिया व गई रंजक क्रिया है। दोनों क्रियाएँ मिलकर संयुक्त क्रिया आना का अर्थ बताती हैं।
2: नामधातु क्रिया
संज्ञा या विशेषण के साथ क्रिया जोड़ने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।
जैसे-
- लुटेरों ने जमीन हथिया ली।
- हमें गरीबों को अपनाना चाहिए।
ऊपर लिखे वाक्यों में हथियाना और अपनाना क्रियाएँ हैं जोकि हाथ (संज्ञा) व अपना (सर्वनाम) से बनी हैं।
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अनुकरणवाची शब्दों से बनी कुछ नामधातु क्रियाएँ इस प्रकार हैं –
संज्ञा शब्द | नामधातुक्रिया |
शर्म | शर्माना |
बात | बतियाना |
झूठ | झुठलाना |
लात | लतियाना |
सर्वनाम शब्द | नामधातु क्रिया |
अपना | अपनाना |
विशेषण शब्द | नामधातु क्रिया |
साठ | सठियाना |
तोतला | तुतलाना |
नरम | नरमाना |
गरम | गरमाना |
अनुकरणवाची शब्द | नामधातु क्रिया |
थप-थप | थपथपाना |
थर-थर | थरथराना |
टन-टन | टनटनाना |
बड़-बड़ | बड़बड़ाना |
3: प्रेरणार्थक क्रिया
जिस क्रिया में कर्ता (काम करने वाला) खुद कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए बोलता हो, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे-
- मालिक नौकर से बर्तन साफ करवाता है।
- अध्यापक छात्र से पाठ पढ़वाते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया में 2 कर्ता होते हैं –
1: प्रेरक कर्ता – प्रेरणा देने वाला
जैसे- मालिक, अध्यापक आदि।
2: प्रेरित कर्ता – जिसे प्रेरणा दी जा रही है
जैसे- नौकर, छात्र आदि।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण
मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीय प्रेरणार्थक |
उठना | उठाना | उठवाना |
उड़ना | उड़ाना | उड़वाना |
चलना | चलाना | चलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
जीना | जिलाना | जिलवाना |
लिखना | लिखाना | लिखवाना |
जगना | जगाना | जगवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
4: पूर्वकालिक क्रिया
जिस वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले अगर कोई क्रिया हो, तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं।
जैसे-
- पंडित ने नहाकर पूजा की।
- मोहन ने घर पहुँचकर फोन किया।
ऊपर लिखे वाक्यों में पूजा की और फोन किया मुख्य क्रियाएँ हैं। इनसे पहले नहाकर, पहुँचकर क्रियाएँ हैं।
पूर्वकालिक क्रिया मूल धातु में कर अथवा करके लगाकर बनाई जाती है।
जैसे-
- चोर सामान चुराकर भाग गया।
- राम ने भागकर ट्रेन पकड़ी।
- मोहन ने किताब से देखकर उत्तर दिया।
- सीला घर पहुँचकर चैन की साँस ली।
कर्म के आधार पर Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hain
कर्म के आधार पर क्रिया के 2 भेद होते हैं –
1) सकर्मक क्रिया
जिस क्रिया के साथ कर्म भी हो या जिस क्रिया का असर कर्म पर पड़े उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
Sakarmak Kriya Ke Udaharan –
- अध्यापिका किताब पढ़ा रही है।
- माली ने पानी से पौधों को सींचा।
ऊपर लिखे वाक्यों में किताब, पानी और पौधे शब्द कर्म हैं, क्योंकि कर्ता (अध्यापिका और माली) का असर इन पर ही पड़ रहा है।
क्रिया के साथ क्या, किसे, किसको लगाकर सवाल करने पर अगर उचित जवाब मिले, तो वह सकर्मक क्रिया है।
कभी-कभी सकर्मक क्रिया में कर्म छिपा रहता है।
जैसे-
- वह गाती है।
- मोहन पढ़ता है।
यहाँ गीत और किताब जैसे कर्म छिपे हैं।
Sakarmak Kriya Ke Bhed
सकर्मक क्रिया के 2 भेद होते हैं –
1. एककर्मक क्रिया
जिस सकर्मक क्रिया में सिर्फ एक ही कर्म होता है, उसे एककर्मक सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे-
- सुहैल फ़िल्म देख रहा है।
- नौकर झाड़ू लगा रहा है।
इनमें फ़िल्म और झाड़ू कर्म हैं। देख रहा है और लगा रहा है दोनों वाक्यों में एक ही कर्म है। अतः यह एककर्मक क्रिया है।
2. द्विकर्मक क्रिया
जिन सकमर्क क्रियाओं में एक साथ दो-दो कर्म आते हैं, वे द्विकर्मक सकर्मक क्रिया कहलाते हैं।
जैसे-
- मोहन अपने भाई के साथ फ़िल्म देख रहा है।
- नौकरानी सरफ से पोछा लगा रही है।
पहले वाक्य में मोहन किसके साथ, क्या देख रहा है ?
जवाब मिल रहा है कि मोहन अपने भाई के साथ फ़िल्म देख रहा है।
दूसरे वाक्य में नौकरानी किससे, क्या लगा रही है?
जवाब मिल रहा है कि नौकरानी सरफ से पोछा लगा रही है।
दोनों वाक्यों में एक साथ दो-दो कर्म आए हुए हैं, इसलिए ये द्विकर्मक क्रियाएँ हैं।
2) अकर्मक क्रिया
जब क्रिया के साथ कोई कर्म नही होता तो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे –
- कबूतर उड़ रहे हैं।
- बच्चे रो रहा हैं।
ऊपर लिखे वाक्यों में कोई कर्म नहीं है, क्योंकि यहाँ क्रिया के साथ क्या, किसे, किसको, कहाँ आदि सवालों के कोई जवाब नहीं मिल रहे हैं। अतः यह अकर्मक क्रिया है।
कुछ अकर्मक क्रियाएँ इस प्रकार हैं –
दौड़ना, कूदना, जागना, ठहरना, कांपना, मरना, जीना, बरसना, रोना, चमकना आदि।
सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान
सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान क्या, किसे या किसको आदि सवाल करने से होती है। अगर जवाब में कुछ मिले, तो क्रिया सकर्मक है और अगर न मिले तो अकर्मक होगी।
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